बराबर की गुफ़ाएँ
ये गुफ़ाएँ बराबर (चार गुफ़ाएँ) और नागार्जुनी (तीन गुफ़ाएँ) कहा जाता है| चट्टानों को काटकर बनाई गई ये गुफ़ाएँ मौर्या सम्राज्य अशोक (273 - 232 ई०पू०) और उसके पौत्र दशरथ के द्वारा तीसरी शताब्दी ई०पू० मे बनवाई गई थी| इन मौर्या राजाओं ने बुद्ध धर्म को अपनाने के बावजूद अपनी धार्मिक सहिष्णुता की नीति के तहत जैन एव अनयल संप्रदायों को भी फलने-फूलने का अवसर दिया|
ये गुफ़ाएँ मक्खली गोसाल द्वारा संस्थापित आजीवन संप्रदाय के अनुयायियों द्वारा प्रयोग मे ताने के लिए बनाई गई थी| मक्खली गोसाला बुद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध और जैन धर्म के 24 वे अंतिम तीर्थकर महावीर के समकालीन थे| इन गुफ़ाओं में चट्टानों को काटकर बनाई गई कई बुद्ध एव हिंदू मुक्तियाँ हैं| बराबर की अधिकतर गुफ़ाओं मे दो कमरे बने हैं जिन्हें ग्रेनाइट की चट्टानों को काटकर बनाया गया है जिन की आंतरिक सतह पर ऊँचा दर्जे की चमकयूक्त पॉलीश की गई है और आकर्षक ईको प्रभाव है| पहला कमरा एक बड़ा आयताकार हॉल है जहाँ पूजा करने वेल लोग इकट्ठा होते थे और दूसरा कमरा छोटा है जो गोल एव गुंबदनूमा है पूजा के लिए बनाया गया था| संभवता इस दूसरे आंतकिर कवरे मे एक छोटा स्तूर जैसी संरचना होती थी लेकिन अब ये खाली है |
ये सात गुफ़ाएँ (सतगढवा) मौर्या सम्राट अशोक के समय मे आजिवकों के लिए बनवाया गया था | ये गुफ़ाएँ कठोर एकामक ग्रेनाइट चट्टानों को काटकर बनाई गई है जिनपर मौकाल को असाधारण पोलिश की कला का सुंदर नमूना प्रस्तुत करते हुए आंतरिक दीवारों पर असादारण चमक वाली पोलिश की गई है| ये सात गुफ़ाएँ निम्नलिखित है |
अ- बारभ गुफ़ाएँ -
1. कर्ण चौपढ़ा
2. सुदामा गुफा
3. लोमस ऋषि (लोमरषि) गुफा
4. विष्मिता (विश्व झोपड़ी) गुफा
ब- नागार्जुन गुफ़ाएँ
1. गोपी गुफा
2. बहैयक् गुफा
3. वेदानटिक गुफा
बराबर गुफ़ाएँ -
बराबर की पहाड़ियों के उपर स्थित इन भांदार गुफ़ाओं तक जाने के लिए अच्छी तरह निर्मित सीढ़ियाँ है | प्रवेश द्वार मीया दीवारों पर लिखे इन्हे बुद्धउपस्कों से जोड़ते हैं| बेर के विशाल छज्जियाल की तरह दिखनेवाली इन गुफ़ाओं को विशाल एका व्क ग्रेनाइट चट्टानों कोकाटकर बनाया गया है जिनकी आंतरिक दीवारों पर ऊच्च गुणवत्तवाली मौर्यकालीन पोलिश है|
नागार्जुन गुफ़ाएँ -
बराबर की पहाड़ियों से 5 मिनट की मोरखाहन यात्रा की दूरी पर स्थित नागार्जुनी पहाड़ी पर ये गुफ़ाएँ स्थित है| बड़ी गुफा पहाड़ी को चोटी के मध्य मे स्थित है जहाँ गुफा के प्रवेश द्वार मे 5 मिनट की चढ़ाई के बाद पहुचा जा सकता है| आयताकार गुफा की दीवारों पर शानदार चमकयुक्त पोलिश गुज़रे जमाने की तकनीक श्रेष्टता को दर्शाता है| दो अन्या छोटी गुफ़ाएँ पहाड़ी के तल में स्थित है|
बहायक गुफा व देवनतिक गुफा को जोडनेवालीभांदार भूरी चट्टानी टुकड़ों के घिरी सीमेंट से निर्मित पथ एक अलग दुनिया का बोध करती है| इन गुफ़ाओं मे भी वैसी ही चमक युक्त पोलिश की गई है| इस स्थान की भाँति, पवित्रता अद्भुत है| इनमे से ज़्यादबर मौर्य भासक अशोक के द्वारा 250 ई०पु० के आस-पास बनवाई गई थी|
बहायक गुफा व देवनतिक गुफा को जोडनेवालीभांदार भूरी चट्टानी टुकड़ों के घिरी सीमेंट से निर्मित पथ एक अलग दुनिया का बोध करती है| इन गुफ़ाओं मे भी वैसी ही चमक युक्त पोलिश की गई है| इस स्थान की भाँति, पवित्रता अद्भुत है| इनमे से ज़्यादबर मौर्य भासक अशोक के द्वारा 250 ई०पु० के आस-पास बनवाई गई थी|